शिवसेना प्रमुख बालासाहब ठाकरे ने अचानक यू टर्न लेते हुए क्रिकेट खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर की तुलना छत्रपति शिवाजी महाराज से की है । याद रहे की कुछ दिन पहले ' मुंबई सबकी ' कहने पर ठाकरे ने सचिन की आलोचना की थी । सचिन के समर्थन में देश भर के लोग खड़े हो गए थे , बहुत सारे लोगों ने सचिन का पक्ष लेते हुए ठाकरे की निंदा की थी । देश में अपने आपको अकेला पाकर शिवसेना ने सचिन के विरोध का मुद्दा ठन्डे बस्ते में डाल दिया था । जो शिवसेना सचिन के मुंबई सबकी कहने पर विरोध में उतरी वही आज उसके समर्थन में कैसे आ गई ? आखिर इस देश की जनता जानना चाहती है की क्या इस देश में राष्ट्रीय हित में बोलना गुनाह है की और कुछ । जो भी हो बात स्पष्ट होनी अब जरुरी ही नही वरण महत्वपूर्ण हो चुकी है। सचिन एक महान खिलाड़ी है । उन्हें भी पता है की क्या बोला चहिये क्या नही बोलना चाहिए । उन्होंने वही बोला जो एक देश हित के लिए बहुत जरुरी समझा ।आज वही शिवसेना सचिन की तुलना शिवाजी महाराज से की है ।
आप सभी जानते है की हाल फ़िलहाल में शिवसेना ने शाहरुख़ खान और राहुल गांघी के खिलाफ की नीति पूरी तरह फ्लॉप साबित हुई थी । इसके पीछे उसकी जनता के बीच दिनोंदिन गिरती साख और कमजोर व लचर हो चूका संगठन को माना जा रहा है । कुल मिलकर कह सकते है की शिवसेना को अपनी घटती ताकत का अहसास हो चूका है . इसलिए शिवसेना को हर मुद्दे पर यु टर्न लेना पड़ रहा है । सचिन तेंदुलकर के बारे में विचार बदलकर शिवसेना ने अब यह स्पस्ट संकेत दे दिया है की वह वास्तव में दिनोदिन कमजोर होती जा रही है । साथ ही महाराष्ट्र की जनता पर न उसका पहले जैसा प्रभाव रहा और न पार्टी किसी से मुकाबला करने लायक बची है । यदि पार्टी का प्रभाव होता तो शायद सचिन के विरोथ के बाद यु टार्न नही लेना पड़ता ।
आप सभी जानते है की हाल फ़िलहाल में शिवसेना ने शाहरुख़ खान और राहुल गांघी के खिलाफ की नीति पूरी तरह फ्लॉप साबित हुई थी । इसके पीछे उसकी जनता के बीच दिनोंदिन गिरती साख और कमजोर व लचर हो चूका संगठन को माना जा रहा है । कुल मिलकर कह सकते है की शिवसेना को अपनी घटती ताकत का अहसास हो चूका है . इसलिए शिवसेना को हर मुद्दे पर यु टर्न लेना पड़ रहा है । सचिन तेंदुलकर के बारे में विचार बदलकर शिवसेना ने अब यह स्पस्ट संकेत दे दिया है की वह वास्तव में दिनोदिन कमजोर होती जा रही है । साथ ही महाराष्ट्र की जनता पर न उसका पहले जैसा प्रभाव रहा और न पार्टी किसी से मुकाबला करने लायक बची है । यदि पार्टी का प्रभाव होता तो शायद सचिन के विरोथ के बाद यु टार्न नही लेना पड़ता ।